यह चिकित्सा प्रतिपूर्ति शासनादेश उत्तराखण्ड के सेवारत एवं सेवानिवृत्त सरकारी कार्मिकों तथा उनके परिवार के आश्रित सदस्यों की चिकित्सा परिचर्या सम्बन्धी शासनादेश को परिभाषित किये जाने विषयक हैं | यह शासनादेश संख्या: 345/XXVIII-3-2016-437/2002, दिनांक 16 मई 2016 को जारी किया गया है, तथा उत्तराखण्ड के सभी विभागों के कर्मचारियों पर लागू होता हैं। यहाँ पर इस शासनादेश का पूरा सन्दर्भ दिया गया है, तथा आप दिए गए लिंक से इस शासनादेश को पीडीऍफ़ के रूप में डाउनलोड कर सकते हैं.
चिकित्सा प्रतिपूर्ति शासनादेश उत्तराखण्ड: शासनादेश संख्या: 345/XXVIII-3-2016-437/2002, दिनांक 16 मई 2016
प्रेषक,
डॉ भूपिन्दर कौर औलख
सचिव
उत्तराखण्ड शासन
सेवा में,
महानिदेशक,
चिकित्सा, स्वस्थ्य एवं परिवार कल्याण
उत्तराखण्ड, देहरादून
चिकित्सा अनुभाग-3 देहरादून: दिनांक 16 मई, 2016
विषय :उत्तराखण्ड के सेवारत एवं सेवानिवृत्त सरकारी कार्मिकों तथा उनके परिवार के आश्रित सदस्यों की चिकित्सा परिचर्या सम्बन्धी शासनादेश को परिभाषित किये जाने विषयक
महोदय,
उपरोक्त विषयक शासनादेश संख्या-679/चि0-3-2005-437/2002, 04 सितम्बर, 2006 की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुये मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि उक्त शासनादेश के नियम 4 (ii) व नियम 6 (i) में क्रमशः निम्नलिखित प्राविधान है:-
नियम प्रस्तर-4(ii) में आपातकालीन स्थिति में समयाभाव के कारण यदि किसी रोगी को बिना पूर्वानुमति के उपचार हेतु ने जाना पड़े, तो ऐसे मामलो में उपचार मुक्त होने के 30 दिन के अन्दर उपचार प्रदान करने वाली संस्था का आकस्मिकता सम्बन्धी प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया जाना अनिवार्य होगा, जिसे संशोधित शासनादेश संख्या-546/XXVIII-3-2010-437/2002 टी०सी०, दिनांक 03.08.2010 के अनुसार उक्त समयसीमा 60 दिन की गयी है, जिस पर प्रतिहस्ताक्षरकर्ता अधिकारी के प्रतिहस्ताक्षर होने के उपरान्त ही सम्बन्धित विभाग द्वारा अनुमति प्रदान की जायेगी।
नियम प्रस्तर-6 (i) में प्रतिपूर्ति दावा प्रस्तुत करने हेतु चिकित्सक/संस्था जिसके द्वारा उपचार प्रदान किया गया से संलग्न अनिवार्यता प्रमाण पत्र के प्रारूप पर बाउचर सत्यापित कराकर व सक्षम स्तर का सन्दर्भण प्रमाण पत्र जो उपचार आरम्भ होने की तिथि से अनुवर्ती तिथि का न हो तथा आपातकालीन परिस्थिति का प्रमाण पत्र सम्बन्धित कार्यालयाध्यक्ष / विभागाध्यक्ष जैसी स्थिति छो, को तीन माह के अन्दर जिसे संशोधित शासनादेश दिनांक 28.07.2011 के अनुसार 06 माह) के अन्दर प्रस्तुत करेंगे, का प्राविधान है।
2. उक्त दोनों नियमों में समय सीमा पृथक-पृथक होने के कारण उक्त दोनो नियमों को निम्नवत् स्पष्ट किये जाने का निदेश हुआ है:-
उक्त शासनादेश के नियम 4(ii) में उल्लिखित समय सीमा मात्र उपचारकर्ता संस्था से आकस्मिकता सम्बन्धी प्रमाणपत्र निर्गत करने के सम्बन्ध में प्रदेश के बाहर बिना पूर्वानुमति के करायी गयी चिकित्सा उपचार हेतु अनिवार्यता प्रमाण पत्र को आकस्मिकता प्रमाण पत्र कॉलम पर सम्बन्धित चिकित्सक/प्रतिहस्ताक्षरकर्ता प्राधिकारी से प्रमाण पत्र हस्ताक्षर 60 दिन के अन्तर्गत प्राप्त करना होगा, जबकि उक्त शासनादेश के नियम-6 (1) उपचार समाप्ति उपरान्त सम्पूर्ण प्रतिपूर्ति वाषा एवं अनिवार्यता प्रमाण पत्र को समस्त आवश्यक अभिलेखों के साथ प्रस्तुत करने की समयसीमा 06 माह होगी।
3. शेष प्राविधान यथावत् है।
भ्रवदीय,
(डा० भूपिन्दर कौर औलख)
सचिव।
पृ०संख्या: 345 (1)/XXVUI-3-2016-437/2002, तद्दिनांक।
प्रतिलिपिं निम्नलिखित को सूत्रमार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषितः-
- समस्त प्रमुख सचिव/सचिव, उगत्तराखण्ड शासन।
- स्टाफ आफीसर, मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन।
- मण्डलायुक्त, कुमाऊँ गढ़वाल।
- समस्त विभागाध्यक्ष उत्तराखण्ड।
- निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, गढ़वाल एवं कुमाऊँ मण्डल।
- समस्त मुख्य चिकित्सा गधिकारी, उत्तराखण्ड।
- समस्त मुख्य चिकित्सा अधीक्षक/अधीक्षक, जिला पुरूष एवं महिला चिकित्सालय, उत्तराखण्ड।
- उत्तराखण्ड सचिवालय के समस्त अनुभागा
- एन०आई०सी०।
- गार्ड फाईल।
आज्ञा से,
(शिवस्वरूप त्रिपाठी)
अनु सचिव।
चिकित्सा प्रतिपूर्ति शासनादेश उत्तराखण्ड, दिनांक 16 मई 2016 डाउनलोड
शासनादेश संख्या: 345/XXVIII-3-2016-437/2002, दिनांक 16 मई 2016
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