सामान्य सेवा नियम | Common Service Rules

सामान्य सेवा नियम | Common Service Rules

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सामान्य सेवा नियम (Common Service Rules): अधोलिखित दिए गए नियम, उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड राज्य सरकार के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारियों व अन्य दुसरे राज्य कर्मचारियों पर लागू होते है, अलग-अलग राज्यों के अनुसार नियमो में कुछ परिवर्तन हो सकता हैं.

  1. कोई व्यक्ति स्थायी पद पर तब तक नियुक्त नहीं किया जा सकता जब तक कि उसके द्वारा स्वास्थ्य सम्बन्धी चिकित्सा प्रमाण-पत्र प्रस्तुत नहीं किया जाता है। उक्त प्रमाण-पत्र उसके प्रथम वेतन बिल के साथ संलग्न किया जाना चाहिये।

राज्यपाल महोदय यदि चाहें तो, किसी विशेष मामले में उक्त चिकित्सा प्रमाण-पत्र के प्रस्तुतिकरण पर छूट दे सकते हैं एवं किसी वर्ग विशेष के कर्मचारियों को इस नियम के प्रतिबन्धों से मुक्त कर सकते हैं। [मू० नि0 10]

  1. जब तक कि स्पष्ट रुप से अन्यथा इंगित न किया जाय, किसी सरकारी सेवक का सम्पूर्ण काल सरकार हेतु होता है और उसे बिना किसी अतिरिक्त भुगतान के, किसी भी समय, किसी भी कार्य हेतु सक्षम अधिकारी द्वारा निर्देशित किया जा सकता है। मू० नि ०11]

3. क-किन्हीं दो अथवा अधिक सरकारी सेवकों को एक ही समय किसी एक स्थायी पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता ।

ख-किसी एक सरकारी सेवक को एक ही समय दो या अधिक स्थायी पदों पर मूल रुप से नियुक्त नहीं किया जा सकता। आवश्यकता पड़ने पर किसी पद पर कार्यरत कर्मचारी को किसी अन्य पद का कार्य अस्थायी रुप से सौंपा जा सकता है। [मू० नि0 49]

ग-कोई सरकारी कर्मचारी किसी पद का स्वत्व (Lien) धारण किये हो उस पद पर किसी अन्य कर्मचारी को स्थायी रुप से नियुक्त नहीं किया जा सकता। [मू० नि0 12]

4. जब तक किसी सरकारी सेवक का स्वत्व (Lien) वित्तीय हस्त पुस्तिका, खण्ड दो, भाग-2 से 4 के मूल नियम 14 के अनुसार स्थानान्तरित न कर दिया गया हो, वह निम्नांकित दशाओं में अपने स्वत्व का धारक माना जाता है-

अ-अपने मूल पद का कार्य करते हुए,

ब-किसी अन्य पद पर स्थानापन्न रुप से कार्य करते हुए अथवा किसी अन्य विभाग में प्रतिनियुक्ति पर कार्य करते हुये,

स-किसी अन्य पद पर स्थानन्तरण की दशा में योगदान काल में (Joning-time)

द-अवकाश काल में।

सामान्य सेवा नियम | Common Service Rules

5. क-किसी कर्मचारी का स्वत्व (Lien) निम्नांकित दशाओं में निलम्बित माना जाता है यदि उसकी नियुक्ति मौलिक रुप से,

(i) -किसी समयबद्ध (Tenure) पद पर की जाती है,

(ii) अपनी श्रेणी के बाहर किसी अन्य अस्थायी पद पर की जाती है, अथवा,

(iii)-किसी ऐसे पद पर की जाती है जिसका स्वत्व किसी अन्य कर्मचारी द्वारा धारण किया जा रहा हो। [मू० नि० 13]

ख -सरकार द्वारा निम्नांकित परिस्थितियों में भी किसी कर्मचारी का स्वत्व उसके द्वारा धारित किसी स्थायी पद पर निलम्बित किया जा सकता है-

i -यदि उसे प्रतिनियुक्ति पर भारत के बाहर भेजा जाता है।

ii -भारत के अन्दर किसी अन्य विभाग में बाह्य सेवा पर प्रतिनियुक्त किया जाता है।

iii. -उपरोक्त ‘क’ में वर्णित परिस्थितियों के अतिरिक्त किसी अन्य पद पर नियुक्त किया जाता है एवं उपरोक्त परिस्थितियों में उसे अपने मूल पद पर कम से कम तीन वर्ष तक अनुपस्थित रखने की सम्भावना हो।

ग-उपरोक्तानुसार किसी कर्मचारी का स्वत्व किसी पद पर निलम्बित किये जाने पर उस पद पर किसी अन्य व्यक्ति को प्रोविजल स्थायी रुप से नियुक्त किया जा सकता है एवं इस प्रकार नियुक्त कर्मचारी उस पद के स्वत्व का धारक बन जायेगा। परन्तु मूल स्वत्वधारी कर्मचारी के लौटने पर उक्त प्रक्रिया समाप्त मानी जायेगी।

घ-उपरोक्त उप प्रस्तर ‘क’ व ‘ख’ के अनुसार किसी स्थायी पद के धारक कर्मचारी के स्वत्व का निलम्बन उस समय समाप्त माना जाता है जब वह अपने मूल पद पर लौट जाता है। (मू० नि० 14)

6. सामान्यतः किसी भी कर्मचारी का स्थानान्तरण एक पद से दूसरे पद पर किया जा सकता है, मू० नि0 15] परन्तु उसे किसी निम्नतर पद पर तब तक स्थानान्तरित नहीं किया जा सकता जब तक कि,

i -ऐसा उसके किसी दुर्व्यवहार अथवा अक्षमता के कारण दण्ड स्वरुप किया जा रहा हो। अवकाश की समाप्ति अथवा कार्यभार ग्रहण काल की समाप्ति के पश्चात ड्यूटी से अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने पर भी निम्न पद पर प्रत्यावर्तित किया जा सकता है।

ii-स्वयं उसके द्वारा ऐसा करने के लिए लिखित रुप से प्रार्थना की गयी हो।

उपरोक्त के सन्दर्भ में निम्नतर पद का तात्पर्य उस पद से है जिसका वेतन कर्मचारी के मौलिक पद, जिस पर उसका स्वत्व (Lien) है, से कम हो। दूसरे शब्दों में किसी उच्चतर पद पर स्थानापन्त्र रुप से (Officiating) कार्य कर रहे कर्मचारी को निम्नतर पद पर स्थानान्तरित किया जाना उक्त नियम द्वारा बन्धित न होगा। [मू० नि० 15]

7. शासन द्वारा अपने कर्मचारियों के लिये कोई प्राविडेन्ट फन्ड अनिवार्य किया जा सकता है। किसी कर्मचारी द्वारा एक वर्ष की नियमित सेवा के उपरांत महालेखाकार उ.प्र. को निर्धारित प्रारुप पर सामान्य भविष्य निर्वाह निधि (G.P.F.) का लेखा खोले जाने हेतु प्रार्थना-पत्र प्रेषित किया जाना चाहिये एवं उक्त लेखा संख्या प्राप्त हो जाने पर कम से कम, मूल वेतन, के 10 प्रतिशत की दर से अभिदान प्रत्येक माह के वेतन से जमा किया जाना चाहिये। [मू० नि0 16]

8. विशेष परिस्थितियों के अतिरिक्त, कोई भी सरकारी कर्मचारी यदि अवकाश पर अथवा बिना अवकाश के 5 वर्ष तक निरन्तर अपनी सेवा से अनुपस्थित रहता है तो उसे 5 वर्ष की अवधि के उपरान्त कोई अवकाश स्वीकृत नहीं किया जा सकता है एवं उसके विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही के उपबन्ध लागू हो जायेंगें, जब तक कि शासन द्वारा उसके प्रकरण में अन्यथा कुछ न अवधारित किया जाय। (विज्ञप्ति संख्या सा-4-34/दस-89-4-1983, दिनांक 12-9-89)

9. सामान्यतः किसी भी कर्मचारी को उसके वेतनमान के अनुसार देय वेतन वृद्धि एक वर्ष की नियमित सेवा के उपरांत देय हो जाती है और इसे नियमित रुप से आहरित किया जा सकता है । परन्तु यदि किसी कर्मचारी का आचरण एवं कार्य-व्यवहार संतोषजनक नहीं पाया जाता है तो सक्षम अधिकारी द्वारा उसको देय वेतन वृद्धि रोकने के आदेश किये जा सकते हैं।

वेतन वृद्धि रोकने सम्बन्धी आदेश में यह स्पष्टतया इंगित किया जाना चाहिये कि वेतन वृद्धि कितने समय तक के लिये रोकी गई है एवं क्या इसका प्रभाव भविष्य की वेतन वृद्धियों पर पड़ेगा अथवा नहीं । [ मू० नि024]

10. किसी पद के वेतनमान के जिस स्तर पर दक्षता रोक पड़ता हो उसके आगे की वेतन वृद्धि तब तक देय नहीं होती जब तक कि सक्षम अधिकारी द्वारा (जिसे वेतन वृद्धि रोकने का अधिकार हो) दक्षता रोक पार करने की अनुमति लिखित रुप से नहीं दी जाती है। [मू० नि025]

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