चिकित्सा प्रतिपूर्ति शासनादेश उत्तराखण्ड, दिनांक 16 मई 2016

चिकित्सा प्रतिपूर्ति दिनांक 04 सितम्बर 2006 शासनादेश उत्तराखण्ड,

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यह चिकित्सा प्रतिपूर्ति दिनांक 04 सितम्बर 2006 शासनादेश उत्तराखण्ड के सेवारत सरकारी कर्मचारियों के चिकित्सा परिचर्या सम्बन्धी चिकित्सा परिचर्या किये जाने विषयक हैं | यह शासनादेश संख्या: 679/चि०-3-2006-437/2002, दिनांक 04 सितम्बर 2006 को जारी किया गया है, तथा उत्तराखण्ड के सभी विभागों के कर्मचारियों पर लागू होता हैं। यहाँ पर इस शासनादेश का पूरा सन्दर्भ दिया गया है, तथा आप दिए गए लिंक से इस शासनादेश को पीडीऍफ़ के रूप में डाउनलोड कर सकते हैं.

शासनादेश संख्या: 679/चि०-3-2006-437/2002 दिनांक 04 सितम्बर 2006

प्रेषक,

आलोक कुमार जैन,

प्रमुख सचिव,

उत्तरांचल शासन।

सेवा में,

महानिदेशक,

चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण,

उत्तरांचल, देहरादून।

चिकित्सा अनुभाग-3 देहरादून: दिनांक ०4, सितम्बर 2006

विषय :- उत्तरांचल के सरकारी सेवकों की चिकित्सा परिचर्या के संबंध में दिशा-निर्देश ।

महोदय,

उपर्युक्त विषयक शासनादेश संख्या-1160/चि-2-2003-437/2002 दिनांक 20.12.2003 के अनुक्रम में मुझे यह कहने का निवेश हुआ हैं कि उत्तरांचल के सेवारत एवं संवानिवृत्त सरकारी कार्मिकों तथा उनके परिवार के गाश्रित सदस्यों की प्रदेश के भीतर एवं प्रदेश के बाहर कराये गये चिकित्सा पर हुये व्यय की पूर्ति के संबंध में बड़ी संख्या में प्राप्त हो रहे दावों के त्वरित निस्तारण में अनुभव की जा रही व्यवहारिक कठिनाईयो तथा चिकित्सा उपचार, पैथालॉजिकल टेस्ट एवं दवाओं के मूल्य में वृद्धि को दृष्टिगत रखते. हुये शासन द्वारा सम्यक विचारोपरान्त वर्तमान प्रकिया को सरल बनाने तथा कार्यालयाध्याक्षों, विभागाध्यक्षों एवं शासन के प्रशासनिक विभागों को किये गये प्रतिनिधायन की सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।

2- अतएव श्री राज्यपाल महोदर प्रदेश के भीतर तथा प्रदेश के बाहर करायी गयी चिकित्सा प्रतिपूर्ति के दावों के परीक्षण/प्रतिहस्ताक्षरण तथा स्वीक्ति हेतु उक्त शासनादेश दिनांक 20.12.2003 द्वारा की गयी व्यवस्था को संशोधित करते हुये निम्नांकित निर्धारित किये जाने के आदेश प्रदान करते हैं:-

प्रतिपूर्ति दावे की अधिकतम धनराशिप्रतिहस्ताक्षरकर्ता अधिकारीस्वीकर्ता अधिकारी
1)रू० 40,000.00 तकराजकीय चिकित्सालय के अधीक्षक/मुख्य अधीक्षक जहाँ उपचार अथवा जहाँ से सन्दर्भित किया गया हो। अशासकीय चिकित्सालयो के प्रकरण मे राजकीय चिकित्सालय के सक्षम प्राधिकारी।कार्यालयाध्यक्ष
2) 40,000.00 से अधिक किन्तु रूरा 1,00,000.00 तकउपचार प्रदान करने वाले अथवा सन्दर्भित करने वाले राजकीय चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक।विभागाध्यक्ष
3)रू0 1,00,000.00 से अधिक किन्तु रू0 2,00,000.00 तककुमायूँ मण्डल हेतु अपर निदेशक, शासन के प्रशासकीय कुमायूँ मण्डल, चिकित्सा, स्वास्थ्य विभाग एवं परिवार कल्याण तथा गढ़वाल मण्डल हेतु अपर निदेशक, गढ़वाल मण्डल, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण।शासन के प्रशासकीय
4) रू0 2,00,000.00 से अधिकतदैव शासन प्रशासकीय विभाग द्वारा चिकित्सा विभाग के परामर्श एवं वित्त विभाग की सहमति से।

चिकित्सा प्रतिपूर्ति दिनांक 04 सितम्बर 2006 शासनादेश उत्तराखण्ड,

3-चिकित्सा अग्रिमः-

सरकारी सेवक के उपचार हेतु उसके लिखित आवेदन पर देश के अन्दर चिकित्सा विभाग द्वारा विशिष्ट उपचार के लिये चिन्हित/सन्दर्भित चिकित्सालय/संस्थान के प्रमुख मुख्य चिकित्सा अधीक्षक/प्रभारी प्रशासक द्वारा दिये गये व्यय प्राक्कलन के आधार पर प्रशासकीय विभाग द्वारा रू० 2,00,000/-तक की सीमा तक के व्यय प्राकलन पर अग्रिम स्वीकृत किया जा सकता है। रू0 2,00,000/- से अधिक के मामले में वित्त विभाग की सहमति प्राप्त करनी होगी। चिकित्सा उपचार अग्रिम हेतु वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड़ पाँच भाग-एक के प्रस्तर-249 में निर्धारित सीमा रू0 25,000/-को इस सीमा तक संशोधित माना जाय।

उपरोक्त अग्रिम की स्वीकृति के सम्बन्ध में निम्न शर्तो का अनुपालन आवश्यक होगा:-

(क) ऐसे अग्रिम की धनराशि अनुमानित व्यय आगर्णन के 75 प्रतिशत से अधिक न हो।

(ख) अग्रिम स्वीकृत होने की तिथि से तीन माह के अन्दर अथवा निरन्तर उपचार चलते रहने की दशा में उपचार समाप्ति के तीन माह के अन्दर, जो भी पहले हो उसके समायोजन हेतु प्रतिपूर्ति का दावा प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।

(ग) अधिम का समय से समायोजन सुनिश्चित करने के लिये प्रत्येक कार्यालयाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष के कार्यालय हेतु अधिकृत आहरण वितरण अधिकारों द्वारा ऐसे अधियों का एक रजिस्टर सेवारत कर्मबारियों के लिये परिशिष्ट “क” में निर्धारित प्रपत्र पर रखा जायेगा जिसकी जांच प्रत्येक माह का प्रथम सप्ताह में उनके द्वारा की जायेगी। निर्धारित समय के अन्दर चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति के दावों के प्रस्तुत न किये जाने पर अग्रिम की वसूली सम्बन्धित कर्मचारियों को वेतन से एक पुश्त कर ली जायेगी और एक मुक्त बसूलो सम्भव न होने के कारणों के विस्तृत परीक्षण के बाद औचित्यपूर्ण स्थिति में मासिक किश्तों में न्यूनतम सम्भव वसूल किया जायेगा।

(घ) जब तक एक अग्रिम का समायोजन नहीं हो जाता, तब तक दूसरा अग्रिम किसी भी दशा में स्वीकृत नहीं किया जायेगा।

(ड.) अग्रिम के बिल पर आहरण-वितरण अधिकारी द्वारा यह प्रमाण-पत्र अंकित किया जाना आवश्यक होगा कि स्वीकृत अग्रिम को प्रविष्टि अग्रिम के निर्धारित रजिस्टर ने कर लो गई है।

(च) फालोअप ट्रीटमेन्ट के लिये अग्रिम नहीं दिया जायेगा।

4- चिकित्सा उपचार के व्यय प्रतिपूर्ति हेतु अनुमन्यता :-

(i) प्रदेश के भीतर चिकित्सा उपचार :-

(क) प्रदेश के भीतर राजकीय चिकित्सालयों में उपचार कराये जाने पर अनुमन्य मदों पर व्यय की गई धनराशि की प्रतिपूर्ति की जायेगी। सामान्य बीमारी अथवा सामान्य दवा के कैश मेमौ पर प्रतिपूर्ति अस्वीकार की जाय।

(ख) प्रदेश स्थित चिकित्सालयों द्वारा उपचार के दौरान ऐसी उपचार प्रणालियों/परीक्षणों जिनकी सुविधा राजकीय चिकित्सालयों में उपलब्ध न हो, प्राधिकृत चिकित्सक द्वारा संदर्भित किये जाने पर गैर सरकारी चिकित्सालयों में किये गये उपचार के व्यय की प्रतिपूर्ति अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान, नई दिल्ली की दरों अथवा वास्तविक व्यय जो भी कम हो, पर की जायेगी।

(ग) प्रदेश के भीतर गैर सरकारी चिकित्सालयों, निजी चिकित्सालयों/नर्सिंग होम में कराई गयी चिकित्सा पर हुये व्यय की प्रतिपूर्ति उन दरों पर की जायेगी जिन दरों पर इस प्रकार की चिकित्सा राजकीय चिकित्सालयों में कराने पर व्यय आता है। प्रतिपूर्ति की धनराशि वास्तविक दावे अथवा सरकारी चिकित्सालय में उक्त उपचार हेतु व्यय को धनराशि दरों में से जो भी कम हो, देय होगी किन्तु ऐसी उपचार प्रणालियां/परीक्षण जिनकी सुविधा राजकीय चिकित्सालय में उपलब्ध न हो, पर व्यय की प्रतिपूर्ति अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान, नई दिल्ली की दरों अथवा वास्तविक व्यय जो भी कम हो, पर प्रतिपूर्ति की जायेगी।

(घ) रूटीन बीमारियों का सरकारी चिकित्सालयों से इतर उपचार कराने हेतु प्राधिकृत विकित्सक का संदर्भण आवश्यक होगा।

(ii) प्रदेश के बाहर विशेषज्ञ चिकित्सा :-

असाध्य एवं गम्भीर रोगों के उपचारार्थ प्रदेश स्थित चिकित्सालयों अथवा राजकीय मेडिकल कालेजों में समुचित व्यवस्था उपलब्ध न होने की स्थिति में प्रदेश स्थित

चिकित्सालय में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक अथवा राजकीय मेडिकल कालेज के सम्बन्धित विशेष विभागाध्यक्ष से निम्न स्तर का हो की संस्तुति पर प्रदेश राज्य सरकार अथवा भारत सरकार द्वारा विशेषज्ञ उपचार हेतु अनुमोदित शासकीय अशासकीय चिकित्सा संस्थानों में उपचार की अनुमति शासन के सम्बन्धित प्रशासकीय विभाग द्वारा सकेगा और चिकित्सा विभाग के प्रतिहस्ताक्षरकर्ता अधिकारी की संस्तुति पद की प्रतिपूर्ति अनुमन्य होगी।

शासन के प्रशासकीय विभाग द्वारा अनुमति प्रदान किये जाने की शासकीय चिकित्सालयों में चिकित्सा कराये जाने पर वास्तविक व्यय अथवा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली की अद्यतन दरों पर दोनों में से जो भी कम हो, की दर पर प्रतिपूर्ति अनुमन्य होगी। आपातकालीन स्थिति ये समयाभाव के कारण, यदि किसी रोगी को बिना पूर्वानुमति के उपचार हेतु ले जाना पड़े वो ऐसे मामलों में उपचार मुक्त होने के 30 दिन के अन्दर उपचार प्रदान करने वाली संस्था का आकस्मिकता सम्बन्धी प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया जाना अनिवार्य होगा, जिस पर प्रतिहस्ताक्षरकर्ता अधिकारों के प्रतिहस्ताक्षर होने के उपरान्त ही सम्बन्धित विभाग द्वारा अनुमति प्रदान की जायेगी। उक्त अवधि के पश्चात् के आकस्मिकता सम्बन्धी प्रमाण पत्रों पर विचार नहीं किया जायेगा।

3- उक्त उपबन्ध उन्ही कार्यरत, अवकाश पर अथवा निलम्बित सरकारी सेवकों तथा उनके परिवार के सदस्यों पर लागू होगे जिन पर उत्तर प्रदेश कर्मचारी (चिकित्सा परिचर्या) नियमावली, 1946 यथा संशोधित 1968 या तो मूलतः या बाद के शासनादेशों द्वारा लागू है किन्तु राज्य के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन सेवायोजित अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों एवं उनके परिवार के सदस्यों पर यह नियमावली उसी सीमा तक लागू होगी, जहां तक आल इण्डिया सर्विसेज (मेडिकल अटेन्डेन्ट) रूल्स, 1954 में अन्यथा व्यवस्था न दी गई हो।

6- प्रदेश के भीतर तथा प्रदेश के बाहर करायी गयी चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति के दावों की स्वीकृक्ति हेतु निम्नलिखित प्रकिया भी निर्धारित किये जाने के आदेश प्रदान करते है:-

(1) प्रतिपूर्ति दावा प्रस्तुत करने हेतु चिकित्सक/संस्था जिसके द्वारा उपचार प्रदान किया गया से संलग्न अनिवार्यता प्रमाण-पत्र के प्रारूप पर, बाउचर सत्यापित कराकर व सक्षम स्तर का संदर्भण प्रमाण-पत्र जो उपचार आरम्भ होने की तिथि से अनुवर्ती तिथि का न हो तथा आपातकालीन परिस्थिति का प्रमाण-पत्र सम्बन्धित कार्यालयाध्यक्ष/विभागाध्यक्ष जैसी स्थिति हो, को तीन माह के अन्दर प्रस्तुत करेंगे। उक्त अवधि के पश्चात् प्रस्तुत प्रतिपूर्ति दावों पर विचार नहीं किया जायेगा। सम्बन्धित कार्यालयाध्यक्ष/विभागाध्यक्ष प्रस्तर-2 के जुनसार दावों को प्रतिहस्ताक्षरतकर्ता अधिकारी को परीक्षण/प्रतिहस्ताक्षर हेतु अग्रसारित करेगे। यदि संदर्भण उपचार आरम्भ होने को अनुवर्ती तिथि के हो, तो ऐसे चिकित्सा प्रतिपूर्ति दावे ग्राह्य नही होंगे।

(11) उपर्युक्त प्रस्तर-2 में उल्लिखित प्रतिहस्ताक्षरकर्ता अधिकारी, को चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति के प्रत्येक दावे के साथ यह प्रमाण पत्र देना अनिवार्य होगा कि परीक्षण चिकित्सा परिचयाँ नियमावली/संगत शासनादेशों के प्रावधानों के अनुसार किया गया है तथा प्रतिपूर्ति हेतु जो दरे प्रमाणित की गयी है, वे नियमानुसार वास्तविक दरे है। साथ ही दावा प्राप्त होने के पश्चात् शासनादेश में निहित प्रावधानों के अनुरूप विलम्बतम एक माह के भीतर तकनीकी परीक्षण कराकर प्रतिहस्ताक्षर करने के उपरान्त सरकारी सेवक के कार्यालयाध्यक्ष विभागाध्यक्ष को बापत किया जाना सुनिश्चित करेंगे जो सम्बन्धित स्वीकर्ता अधिकारी से स्वीकृत आदेश प्राप्त करेंगे।

(iii) प्राधिकृत चिकित्सक के सन्दर्भ पर उन उपभार प्रणालियों/परीक्षणों, जिनकी सुविधा राजकीय चिकित्सालयों में न उपलब्ध हो प्रवेश स्थित गैर सरकारी चिकित्सालयों में कराये गधे उपचार परीक्षण की प्रतिपूर्ति अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की दरों पर अथवा वास्तविक व्यय जो भी कम हो, पर तभी अनुमन्य होगी जब प्रतिहस्ताक्षरार्थ अधिकारी द्वारा यह प्रमाण पत्र दिया जायेगा कि राजकीय चिकित्सालयों में उक्त उपचार प्रणालियों/परीक्षण को सुविधा उपलब्ध नहीं है।

(iv) सेवानिवृत्त सरकारी सेवकों एवं उनके परिवार के आश्रित सदस्य तथा मृत सरकारी सेवक के पारिवारिक पेशन हेतु अर्ह सदस्यों को चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति के दावे सम्बन्धित कार्यालयाध्यक्ष को अथवा उस कार्यालय में प्रस्तुत किये जायेंगे जहां से वह सेवानिवृत्त हुये हो। उ0प्र0 पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के प्रस्तर-54 के साथ पठित शिड्यूल-8 के अनुसार उत्तरांचल राज्य के भौगोलिक क्षेत्र से पेंशन प्राप्त करने वाले पेंशनर्स जिस कोषागार से पेंशन प्राप्त कर रहे हो, द्वारा यह प्रमाणित करने पर उक्त पेंशनर किस विभाग से सेवानिवृत्त हुआ है तथा संबंधित कार्यालय उत्तरांचल के भौगोलिक क्षेत्र में नहीं था तथा उत्तरांचल क्षेत्र में स्थित विभागाध्यक्ष/प्रशासनिक विभाग द्वारा अधिकारों के प्रतिनिधायन के अनुसार स्वोकृत किया जायेगा तथा ऐसे भुगतान पेंशन के सुसंगत लेखा शीर्षक से करने के बाद दोनो राज्यों के मध्य धनराशि जनसंख्या के आधार पर प्रभाजित की जायेगी।

(V) ऐसे सरकारी सेवानिवृत्त सेवक जो पुर्ननियुक्ति पर कार्यरत है कि चिकित्सा प्रतिपूर्ति के मामले उनके मूल पैतृक विभाग के माध्यम से तथा जिस प्रदेश से उनकी पेंशन आहरित की जा रही होगी, उसी प्रदेश से नियमानुसार व्यवहरित किये जायेंगे।

(vi) इस सम्बन्ध में यह भी स्पष्ट किया जाता है कि सेवानिवृत्त शासकीय सेवकों एवं उनके परिवार के आश्रित सदस्यों तथा मृत सरकारी सेवकों के परिवारिक पेंशन हेतु अर्ह सदस्यों की चिकित्सा पर हुये व्यय की प्रतिपूर्ति के दावों का तकनीकी परीक्षण करने हेतु सम्बन्धित मण्डल वह मण्डल माना जायेगा, जहां से सेवानिवृत्त कर्मचारी/अधिकारी की पेंशन आहरित की जाती है। प्रदेश के बाहर पेशन आहरित करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों के सम्बन्ध में उनका मण्डल वही माना जायेगा कि जिस मण्डल से कर्मचारी/अधिकारी सेवानिवृत्त हुआ हो।

7- उपरोक्त के अतिरिक्त चिकित्सा प्रतिपूर्ति दावा स्वीकृत किये जाने से पूर्व निम्नलिखित चेक लिस्ट के अनुसार औपचारिकतायें पूर्ण होना अनिवार्य होगा ।

चेक लिस्ट

समस्त/बिल वाउचर की मूल प्रतिलिपि संलग्न हो।

समस्त बिल/वाउचर चिकित्सक द्वारा सत्यापित हो।

अनिवार्यता प्रमाण-पत्र संलग्न हो।

अनिवार्यता प्रमाण-पत्र में रोगी का नाम, उपचार की अवधि तथा व्यय की गयी धनराशि अंकित हो तथा व्यय विवरण संलग्न हो।

अनिवार्यता प्रमाण-पत्र में उल्लिखित उपचार अवधि के भीतर के तिथियों के हो बिल वाउबर का भुगतान किया जायेगा।

अनिवार्यता प्रमाण-पत्र उपचार करने वाले चिकित्सक द्वारा हस्ताक्षरित तथा चिकित्सालय के प्रभारी अधोक्षक द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित हो।

प्रदेश से बाहर के चिकित्सा संस्थानों में उपचार कराये जाने की दशा में प्रशासकीय विभाग द्वारा कार्योत्तर स्वीकृति दी जानी होगी।

8- यह आदेश तात्कालिक प्रभाव से लागू माने जायेगे तथा शासनादेश संख्या-1180/नि0-2-2003-437/2002, दिनांक 20.12.2003, इस सीमा तक संशोधित समझा जाये।

9- यह आदेश वित्त विभाग की अशासकीय संख्या-432/वित्त-3/2006, दिनांक 18.08.2006 में प्राप्त उनकी सहमति से जारी किये जा रहे हैं।

संलग्नक :- यथोपरि।

भवदीय,

आलोक कुमार जैन

प्रमुख सचिव।

संख्या: 679 (1)/चि-3-2006-437/2002 त‌द्दिनांक ।

प्रतिलिपि निम्नलिखित को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित :-

  1. समस्त प्रमुख सचिव/सचिव, उत्तरांचल शासन।
  2. स्टाफ आफिसर-मुख्य सचिव, उत्तरांचल शासन।
  3. समत्त मण्डलायुक्त, उत्तरांचल।
  4. समस्त जिलाधिकारी उत्तरांचल।
  5. समस्त विभागाध्यक्ष, उत्तरांचल।
  6. निजी सचिव, मा० मुख्यमंत्री जी, उत्तरांचल।
  7. अपर निदेशक, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, गढ़वाल/कुमाँयू मण्डल, पौड़ी/ नैनीताल।
  8. समस्त मुख्य चिकित्साधिकारी, उत्तरांचल।
  9. समस्त मुख्य चिकित्सा अधीक्षक/अधीक्षक, जिला पुरूष एवं महिला चिकित्सालय, उत्तरांचल
  10. सचिवालय के समस्त अनुभाग।
  11. एन० आई०सी०।
  12. गार्ड फाईल।

आज्ञा से

(अतर सिंह)

उप सचिव

डाउनलोड शासनादेश संख्या: 679/चि०-3-2006-437/2002, दिनांक 04 सितम्बर 2006

चिकित्सा प्रतिपूर्ति शासनादेश उत्तराखण्ड, दिनांक 16 मई 2016

एक प्रकृति के अवकाश को दूसरी प्रकृति के अवकाश में परिवर्तित किया जाना शासनादेश

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