चिकित्सा अवकाश के नियम, मूल नियम बी (2): सभी सरकारी सेवकों की अस्वस्थता की स्थिति में अपनी चिकित्सा हेतु देय अवकाश चिकित्सा अवकाश के नाम से जाना जाता है। यह अवकाश केवल किसी अधिकृत चिकित्सक अथवा चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रदत्त अस्वस्थता प्रमाण पत्र के आधार अनुमन्य होता है । चिकित्सा अवकाश, सम्बन्धित चिकित्सक/चिकित्सा अधिकारी द्वारा संस्तुत अवधि से अधिक स्वीकृत नहीं किया जा सकता ।
वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड दो भाग 2 से 4 के मूल नियम 81 बी (2) के अनुसार प्रत्येक स्थायी कर्मचारियों को अपने सम्पूर्ण सेवा काल में अधिकतम 12 माह का चिकित्सा अवकाश अनुमन्य होता है। तथापि 12 माह की उक्त अवधि समाप्त हो जाने पर, विशेष परिस्थितियों में चिकित्सा परिषद (Medical Board) की संस्तुति के आधार पर अधिकतम 6 माह का अतिरिक्त चिकित्सा अवकाश अर्ध वेतन पर और स्वीकृत किया जा सकता है ।
सहायक नियम 157-ए के अर्न्तगत, अस्थायी सरकारी सेवकों के लिए चिकित्सा अवकाश की अनुमन्य अवधि 4 माह निर्धारित की गयी है। परन्तु शासनादेश संख्या 19/8/1980 कार्मिक- 1 दिनाँक 29 अप्रैल 1980 द्वारा उक्त नियम का आंशिक संशोधन करते हुए उन समस्त अस्थायी कर्मचारियों को भी स्थायी कर्मचारियों की भाँति, सम्पूर्ण सेवाकाल में 12 माह का चिकित्सा अवकाश अनुमन्य घोषित कर दिया गया है जिनके द्वारा तीन वर्ष की नियमित एवं संतोषजनक सेवा अवधि पूर्ण कर ली गयी हो तथा उनके विरुद्ध कोई वैभागिक कार्यवाही न चल रही हो और उनकी सत्यनिष्ठा प्रमाणित हो ।
यद्यपि चिकित्सा अवकाश चिकित्सा प्रमाण पत्र (Medical Certificate) के आधार पर स्वीकृत किया जाता है, परन्तु मात्र चिकित्सा प्रमाण पत्र प्राप्त कर लेना चिकित्सा अवकाश के लिए अधिकृत नहीं कर देता ।
यदि उक्त प्रकार से लिए गये अवकाश की अवधि एक माह अथवा उससे कम हो एवं अस्वस्थता का कोई प्रत्यक्ष कारण, जैसे चोट आदि न हो तो ऐसी दशा में स्वीकृत करने वाला अधिकारी, यदि चाहे तो स्थानीय सरकारी हस्पताल के प्रधिकृत चिकित्सा अधिकारी से सम्बन्धित कर्मचारी की जाँचोपरान्त अस्वस्थता के सम्बन्ध में द्वितीय राय ले सकता है। यदि उपरोक्तानुसार द्वितीय राय लेने की आवश्यकता समझी जाती है तो यह कार्य, अधिकृत चिकित्सक/चिकित्साधिकारी की प्रथम राय प्राप्त होने के बाद यथाशीघ्र किया जाना चाहिये ।
उपार्जित अवकाश स्वीकृति आदेश | Earned Leave Approval Order PDF
आकस्मिक अवकाश क्या हैं ? Casual Leave in Hindi
परन्तु यदि चिकित्सा अवकाश की अवधि एक माह से अधिक हो तो प्रत्येक दशा मे प्रथम चिकित्सकीय राय प्राप्त होने के बाद यथा शीघ्र मुख्य चिकित्सा अधिकारी से द्वितीय राय मांगी जानी चाहिए। यदि उक्त स्थिति में कोई मामला C.S/C.M.O. सदर्भित किये जाने पर शल्य चिकित्सक/मु. चि. अ. द्वारा मरीज की हालत अथवा दूरी को ध्यान में रखते हुए, उक्त कार्यवाही से मुक्त किये जाने की संस्तुति की जाती है तो अवकाश स्वीकृत करने वाले अधिकारी को यह अधिकार होगा की उक्त नियम के प्रतिबन्ध को शिथिल कर दे ।
यदि चिकित्सा अवकारा, किसी महिला कर्मचारी द्वारा उपभोग किया जा रहा हो एवं उक्त दो में से किसी एक प्रस्तर के अनुसार द्वितीय चिकित्सकीय राय ली जानी आवश्यक समझी जाय तो सम्बंधित मुख्य चिकित्साधिकारी को चाहिए की वह मरीज की जाँच किसी सहकारी महिला चिकित्सक से कराये । यदि कोई महिला चिकित्सक उपलब्ध न हो तो स्वंय, मरीज की दशा में अवकाश स्वीकृत करने वाले अधिकरी को यह अधिकार प्राप्त होगा कि वह ऐसी द्वितीय राब, किसी अन्य स्थानीय अधिकृत महिला चिकित्सक से प्राप्त कर ले । यदि कोई महिला चिकित्सक उपलब्ध न हो तो स्वीकृत करने वाले अधिकारी को उक्त नियम की आवयकता को ऐसे मामले के लिए शिथिल करने का अधिकार होगा ।
किसी भी कर्मचारी को चिकित्सा अवकाश का उपभोग करने के उपरान्त सेवा में योगदान करने की अनुमति तब तक नही दी जा सकती जब तक कि उसके द्वारा अपनी स्वस्थता के सम्बन्ध में चिकित्सकीय प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया जाता है। राजपत्रित अधिकारी को तीन माह तक का चिकित्सा अवकाश विभागाध्यक्ष द्वारा आधिकृत चिकित्सा अधिकारी के प्रमाण पत्र के आधार पर स्वीकृत किया जा सकता है तथा इससे अधिक अवकाश के लिए मेडिकल बोर्ड के प्रमाण पत्र की आवश्यकता होगी (सहायक नियम 88-90) अराजपत्रित कर्मचारी को एक माह तक का चिकित्सा अवकाश किसी रजिस्टर्ड डाक्टर, वैद्य/हकीम के प्रमाण पत्र के आधार पर स्वीकृत किया जा सकता है । (सहायक नियम 96)