उपार्जित अवकाश या अर्जित अवकाश के नियम [(मू. नि. 81-B (1)] तथा विज्ञप्ति संख्या सा-4-1071/दस दिनांक 21-12-92: जैसा कि नाम से स्पष्ट है, यह अवकाश कर्मचारी को स्वयमेव देय नहीं हो जाता अपितु प्रत्येक कर्मचारी द्वारा इसे अर्जित किया जाता है एवं इस प्रकार कुल अर्जित अवकाश की अधिकतम सीमा तक ही अवकाश का उपभोग करने के लिए ही सम्बन्धित कर्मचारी अधिकृत होता है।
1 जनवरी, 1978 से पूर्व प्रचलित नियमानुसार प्रत्येक नियमित (regular) सरकारी सेवक द्वारा प्रति ग्यारह दिवस की सेवा के उपरान्त एक दिन का अवकाश अर्जित किया जाता था । कर्मचारी द्वारा उपरोक्तानुसार अर्जित अवकाश का लेखा, निर्धारित रुपपत्र पर, उसकी सेवा पुस्तिका पर अंकित किया जाता था। उपरोक्त नियमानुसार, किसी कर्मचारी द्वारा अवकाश पर प्रस्थान के दिवस से पूर्व के दिवस तक उसके द्वारा कृत सेवा दिवसों के 1/11 की दर से देय अवकाश आगणित किया जाता था ।
उक्त विधि में होने वाली कठिनाई को ध्यान में रखते हुए शासनादेश संख्या सामान्य-4- 1751/दस 201-76 दिनाँक 24-6-78 द्वारा अवकाश आगणन की विधि को सरलीकृत किया गया एवं घोषित किया गया कि-
(i) – प्रत्येक सरकारी सेवक के अवकाश लेखे में प्रत्येक कलेण्डर वर्ष में 31 दिन का अर्जित अवकाश दो छमाही किश्तों में जमा किया जायेगा । इस प्रकार प्रत्येक वर्ष पहली जनवरी को 16 दिन तथा पहली जुलाई को 15 दिन का अर्जित अवकाश, अवकाश लेखे में जमा किया जायेगा |
(ii)- प्रथम छमाही की समाप्ति पर सरकारी सेवक के अवकाश लेखें में जमा अवशेष, अर्जित अवकाश अगली ‘छमाही में लाया (carry forward) जायेगा। परन्तु प्रतिबन्ध यह है कि उक्त प्रकार से अगली छमाही में देय अवकाश का योग 240 दिन की अधिकतम सीमा से अधिक नहीं होगा। [1-1-87 से पूर्व उक्त अधिकतम सीमा 180 दिन थी।
(iii)- किसी छमाही के मध्य किसी कर्मचारी की सेवा प्रारम्भ होने अथवा समाप्त होने की दशा में 21/2 (ढाई) दिन प्रति माह की दर से अवकाश जमा किया जायेगा । उक्त स्थिति में आगणन हेतु मात्र पूर्ण माह ही गिनें जायेंगे एवं आगणित दिवस यदि खण्डित संख्या (fraction) में हो तो इन्हें अगली संख्या के रुप में पूर्णकित किया (round up) जाना चाहिये ।
(iv)- यदि कोई कर्मचारी किसी छमाही में असाधारण अवकाश का उपभोग करता है तो अगली छमाही में उसके खाते में जमा किये जाने वाले अर्जित अवकाश में से, उपरोक्तानुसार उपभोग किये गये असाधारण अवकाश की अवधि के 1/10 की दर से, कटौती कर दी। जायेगी । इस प्रकार की जाने वाली कटौती अधिकतम 15 दिवस की होगी ।
उदाहरणार्थ यदि कर्मचारी द्वारा प्रथम छमाही में 20 दिन के आसाधारण अवकाश का उपभोग किया जाता है तो अगली छमाही में 1/10 की दर से, 2 दिवस कम कर 15 दिन के स्थान पर 13 दिन अवकाश लेखे में जमा किये जायेंगे ।
किसी राजकीय कर्मचारी के अवकाश लेखे में एक समय में 240 दिवस से अधिक का अवकाश जमा नहीं हो सकता। दूसरे शब्दों में किसी अवकाश लेखे में 240 दिवस का अवकाश देय हो जाने के पश्चात् सम्बन्धित कर्मचारी द्वारा कोई अवकाश अर्जित नहीं किया जायेगा परन्तु अवकाश के उपभोग के फलस्रुप उक्त देय अवकाश की संख्या 240 से घटने पर पुनः सम्बन्धित खाते में अर्जित अवकाश का लेखांकन उक्त अधिकतम सीमा तक किया जायेगा।
अवकाश लेखे में, अर्जित अवकाश के दिवस, उपभोग किये गये अवकाश के लेखांकन के सम्बन्ध में निम्नांकित बिन्दु विशेष रुप से ध्यान रखने योग्य है-
(i)- प्रत्येक 1 जनवरी व जुलाई को किसी अवकाश-लेखे में सर्वप्रथम गत छमाही के अन्त में शेष अवकाश को प्रारम्भिक अवशेष (opening balance) के रुप में अंकित किया जायेगा ।
(ii)- तदोपरान्त उक्त तिथियों में क्रमशः 16 व 15 दिन उक्त अवशेष में जोड़ने के उपरान्त छमाही में देय अर्जित अवकाश का आगणन कर अंकित किया जाना चाहिये एवं उसके आगे के स्तम्भों में उक्त छमाही में उपभोग किये गये अर्जित अवकाश को घटाते हुए अवशेष अवकाश आगणित किया जाना चाहिये ।
(iii)- यह विशेष ध्यान रखना चाहिये कि अवकाश उपभोग की अवधि जिस छमाही से संबंधित हो ऐसी छमाही के अवशेष से उसे घटाया जाना चाहिये, अन्यथा अवकाश लेखा गलत होने की संभावना रहती है।
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उदाहरणार्थ यदि श्री ‘क’ के अवकाश लेखे मे 235 दिन का अवकाश पहली छमाही में देय हो और उनके द्वारा 25 जून से 9 जुलाई तक 15 दिन का अर्जित अवकाश का उपभोग किया जाता है तो उनके अवकाश लेखे में लेखांकन निम्न प्रकार किया जाना चाहिये-
24 जून को देयअवकाश = 235 दिन
25 जून से 30 जून तक उपभोग = (-) 6 दिन
30 जून का अवशेष अवकाश = 229 दिन
1 जुलाई को अर्जित अवकाश = + 15 दिन
योग = 244 दिन
1 जुलाई को देय अवकाश = = 240 दिन (अधिकतम)
1 जुलाई से 9 जुलाई तक उपभोग = (-) 9 दिन
अवशेष अर्जित अवकाश = 231 दिन
उपरोक्तानुसार अवकाश से लौटने पर श्री ‘क’ के अवकाश लेखे में 231 दिवस का अर्जित अवकाश शेष रहेगा । यदि अवकाश उपभोग की सम्पूर्ण अवधि (15 दिन) अवशेष अवकाश (235 दिन) के सम्मुख अंकित करते हुए अवशेष निकाला जाता तो अवशेष अवकाश 235-15-220 में 1 जुलाई को 15 दिन का अवकाश जोड़ने के पश्चात् अवशेष अवकाश 220 +15=235 होता जो गलत है।
120 दिवस से अधिक अवकाश तभी अनुमन्य होता है जबकि संबंधित कर्मचारी द्वारा अवकाश पूर्णतः अथवा अंशतः भारत के बाहर व्यतीत किया जाय। अंशतः व्यतीत किये जाने की दशा में, भारत में व्यतीत किया गया अवकाश 120 दिन से अधिक नहीं होना चाहिये एवं उपरोक्तानुसार एक बार में उपभोग किये गये अवकाश की कुल अवधि किसी भी दशा में 180 दिन से अधिक नहीं होनी चाहिये ।